Tuesday, 23 September 2025

एक-दूसरे से प्रेम करें

 

✝️ एक-दूसरे से प्रेम करें — यीशु के जैसे

हमारे जीवन का सबसे पवित्र और शक्तिशाली पक्ष है — प्रेम। यह केवल भावना नहीं, बल्कि एक क्रिया है — एक ऐसी क्रिया जो हमें ईश्वर के स्वरूप के करीब लाती है। यीशु मसीह ने हमें प्रेम का सबसे उत्तम उदाहरण दिया है। उन्होंने न केवल प्रेम का उपदेश दिया, बल्कि उसे अपने जीवन में जीकर दिखाया।


📖 बाइबिल क्या कहती है प्रेम के बारे में?

1. यीशु का आज्ञा: “एक-दूसरे से प्रेम करो”

“मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ कि एक-दूसरे से प्रेम करो; जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है, वैसे ही तुम भी एक-दूसरे से प्रेम करो।”
यूहन्ना 13:34

यीशु ने प्रेम को आज्ञा के रूप में दिया — यह कोई विकल्प नहीं, बल्कि ईश्वरीय आदेश है। हमसे अपेक्षा की गई है कि हम उसी तरह प्रेम करें जैसे यीशु ने किया — निःस्वार्थ, बिना भेदभाव, और क्षमा से भरपूर।


💡 सच्चा प्रेम कैसा होता है?

2. प्रेम के गुण:

“प्रेम धैर्यवान होता है, प्रेम दयालु होता है; यह ईर्ष्या नहीं करता, प्रेम डींग नहीं मारता, घमण्ड नहीं करता।”
1 कुरिन्थियों 13:4

सच्चे प्रेम में अहंकार नहीं होता। यह दूसरों की भलाई चाहता है, क्रोध में नहीं आता, और सब कुछ सह लेता है। इस प्रकार का प्रेम हमारे व्यवहार में दिखना चाहिए — हमारे शब्दों, कामों और प्रतिक्रियाओं में।








🙌 प्रेम और क्षमा का संबंध

3. प्रेम, क्षमा की जड़ है:

“यदि तुम लोगों के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।”
मत्ती 6:14

प्रेम और क्षमा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि हम दूसरों को सच्चे दिल से प्रेम करते हैं, तो हम उन्हें क्षमा भी कर सकते हैं — ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर ने हमें क्षमा किया।


🔥 प्रेम स्थायी है

4. प्रेम कभी समाप्त नहीं होता:

“प्रेम कभी असफल नहीं होता।”
1 कुरिन्थियों 13:8

जब सब कुछ खत्म हो जाएगा — धन, यश, शक्ति — प्रेम फिर भी बना रहेगा। यही कारण है कि बाइबिल प्रेम को सबसे बड़ा गुण कहती है।


💖 ईश्वर स्वयं प्रेम है

5. ईश्वर का प्रेम हमारे अंदर:

“यदि हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्वर हम में बना रहता है, और उसका प्रेम हम में पूर्ण होता है।”
1 यूहन्ना 4:12

जब हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, तो हम केवल एक अच्छा कार्य नहीं कर रहे — हम ईश्वर के स्वरूप को अपने अंदर जीवित कर रहे हैं।


✨ निष्कर्ष

यीशु मसीह ने प्रेम को अपने जीवन से सिद्ध किया — उन्होंने शत्रुओं को भी प्रेम किया, गुनहगारों को क्षमा किया, और अंतिम समय तक सबके लिए प्रार्थना की।

आइए हम भी उनके उदाहरण का पालन करें — बिना शर्त प्रेम करें, क्षमा करें, और समाज में यीशु की तरह प्रेम फैलाएं


📌 प्रेरणादायक वाक्य

“जहाँ प्रेम है, वहाँ ईश्वर है।”
— संत अगस्टीन


🤲 क्या आप यीशु के प्रेम को अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे?

प्रार्थना करें, क्षमा करें, और प्रेम करें — हर दिन। यही सच्चा मसीही जीवन है।

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